अग्नि पीड़ितों की मदद को कुल्लू प्रशासन ने दिखाई तत्परता, मदद को बढते हाथों ने संभाला मोर्चा, सेनानायक की भूमिका में दिखे राकेश कवर।

यह उम्दा आगाज है, अब खूबसूरत अंजाम की उम्मीद
कोटला गांव में देखने को मिली राहत कार्यों की बेहतरीन मिसाल
सरकार, प्रशासन और दानी लोगों की तत्परता से पीड़ितों को राहत

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बंजार उपमंडल के कोटला गांव के अग्निकांड पीड़ितों की मदद के लिए सरकार, प्रशासन, सरकारी विभागों और आम लोगों ने तत्परता और सुनियोजितपूर्ण तरीके से कार्य करके आपदा प्रबंधन का एक अनुकर्णीय व अनुसरणीय उदाहरण पेश किया है। अग्निकांड में अपने मकान और जिंदगी भर की पूंजी गंवा चुके 94 परिवारों के समक्ष पुनर्निर्माण एक बहुत बड़ी चुनौती है। कई पीढ़ियों की मेहनत से तिनका-तिनका जोड़कर जो आशियाने तैयार हुए थे, उनकी जगह आज राख, मिट्टी व पत्थरों का ही ढेर नजर आ रहा है। लेकिन, सरकार, प्रशासन, सरकारी विभागों व दानी लोगों के बेहतरीन राहत कार्यों को देखकर लगता है कि यह एक उम्दा आगाज है और इन्हीं प्रयासों की बदौलत अंजाम भी खूबसूरत होगा। शासन-प्रशासन व दानी लोगों की मदद और कोटलवासियों की मेहनत से भविष्य में अवश्य एक नया खूबसूरत व आदर्श गांव आकार लेगा।

15 नवंबर की शाम को गांव कोटला में आग लगने की घटना का पता चलते ही जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। स्थानीय विधायक और आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह ने अधिकारियों व कर्मचारियों को तुरंत मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए। अग्निशमन व होमगाड्र्स की गाड़ियां तुरंत कोटला के लिए रवाना कर दी गईं। बंजार के एसडीएम और जिला मुख्यालय से एडीएम भी अन्य अधिकारियों के साथ कोटला के लिए चल पड़े। जिलाधीश किसी सरकारी कार्य से शिमला में थे लेकिन उन्होंने भी रात को ही कोटला का रुख कर लिया। वह लगातार मुख्यमंत्री कार्यालय, प्रदेश सरकार के उच्च अधिकारियों और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों के संपर्क में रहे तथा घटनास्थल पर मौजूद अधिकारियों से पल-पल की जानकारी लेते रहे। जिलाधीश आधी रात को ही कोटला पहुंच गए और आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री ने भी 16 नवंबर की सुबह ही स्वयं गांव में पहुंचकर राहत कार्यों का जायजा लिया तथा अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए।
त्रासदी की भयावहता को देखते हुए सरकार ने अधिकारियों को तुरंत युद्ध स्तर पर राहत व पुनर्वास कार्य आरंभ करने के निर्देश दिए और इसमें धनराशि की कोई भी चिंता न करने की बात कही। अपने बहुत ही व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 18 नवंबर को स्वयं कोटला पहुंचे और गांव के पुनर्निर्माण के लिए तुरंत दो करोड़ रुपये जारी कर दिए। मुख्यमंत्री ने इस धनराशि व मुआवजे के अलावा अन्य माध्यमों और योजनाओं से भी गांव के पुनर्निर्माण में योगदान देने की घोषणा की है।
इस बीच विभिन्न प्रशासनिक अधिकारी, विभागीय अधिकारी व कर्मचारी गांव में ही डेरा डालकर राहत कार्यों को अंजाम देते रहे। अग्निकांड के बाद अगले दिन से ही कई संस्थाएं और दानी लोग राहत सामग्री लेकर गांव में पहुंचने शुरू हो गए लेकिन जिला प्रशासन ने राहत व पुनर्वास कार्यों को सुनियोजित ढंग से चलाने और पीड़ितों की जरूरत के अनुसार ही सामग्री का वितरण सुनिश्चित करने के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया। राहत राशि और आवश्यक सामग्री के सही एकत्रीकरण व इसे कोटला तक पहुंचाने के लिए जिला मुख्यालय में भी प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम लगातार सक्रिय रही।

इन सभी प्रबंधों के कारण ही पीड़ितों की जरूरत के अनुसार अतिशीघ्र राहत सामग्री का वितरण सुनिश्चित हुआ और अब कोटला में आम जनजीवन तेजी से पटरी पर लौटने लगा है। भीषण त्रासदी और विपरीत परिस्थितियों में राहत व पुनर्वास कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम देने की यह पहल निःसंदेह हिमाचल प्रदेश के आपदा प्रबंधन ढांचे में एक नया अध्याय जोड़ेगी तथा भविष्य में आपात परिस्थितियों से इसी तर्ज पर निपटने के लिए पे्ररित करती रहेगी।
उधर, आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह का कहना है कि कोटला गांव के पुनर्निर्माण के लिए सरकार की ओर से हरसंभव सहायता प्रदान की जा रही है।

यह बेहद दुखद घटना है कि करीब 70 परिवारों की उम्र भर की जमा पूंजी हुई तबाह, आग छोड़ गई सिर्फ पथरों के ढेर।।

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प्रदेश सरकार से अपील हर गांव तक पहुंचे सड़क। तवाही के ज़ख्मों को सहलाने का हो प्रयास।

बंजार के कोटला गाँव में लगी आग, चार मंदिरों सहित 77 घर स्वाह, कई मवेशी जिन्दा जले,

.हिमाचल का सबसे बड़ा अग्रिकांड, दहक उठा कोटला गांवबड़ा छमाहू देवता के चार मंदिर सहित 80 से अधिक घर राखकरोड़ों का सोना चांदी दर्जनों मवेशी सहित

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कुछ नहीं बचा पाए लोगभीषण अग्रिकांड में मिट गया देवता बड़ा छमाहू के धरोहर कोटला गांव का इतिहासगांव में अफरा तफरी का माहौल, रातभर चीखों से गूंजता रहा गांवघनी आवादी बाले गांव को बचाने के लिए कोई नहीं कर पाया प्रवेशधू-धू कर ग्रामीणों की आंखों के सामने राख हो गए काष्ठकूणी के मकानधनेश गौतमकुल्लू, 15 नवंबर। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में सबसे बड़े भीषण अग्निकांड ने प्रदेश को हिला कर रख दिया है। रविवार का दिन देवभूमि कुल्लू के लिए अमावस्या की काली रात बनकर आईहै और एक ऐतिहासिक एवं धरोहर गांव का इतिहासमिट गया है। जिला कुल्लू का ऐतिहासिक गांव कोटला में भीषण अग्रिकांड ने 100 परिवारों के 80 मकानों को देखते ही देखते राख के ढेर में बदल दिया है। तबाही की यह आग करीब 4:45 बजे सुलगी और चंद मिनटों में घनी आवादी बालेपूरे गांव के मकानों को अपनी चपेट में लिया।इस भीषण अग्रिकांड में सराज घाटी के अराध्य देवता देव बड़ा छमाहूं का 6 मंजिला भव्य मंदिर के अलावा धामणी छमाहंू का मंदिर, देवता भूहणी का मंदिर, धामणी छमाहूं का भंडार, देवता बड़ा छमाहूं का करोड़ों रुपए के सोने चांदी के आभूषण सहित 80 मकान जलकर राख हो गए हैं। इस भीषण अग्रिकांड में दर्जनों मवेशी सहित स्थानीय ग्रामीणों की करोड़ों रुपए की संपत्ति भी पूरी तरह से तबाह हो गई हैं। अग्रिकांड शुरू होते ही यहां पर रह रहे 100 परिवारों ने भागकर अपनी जान बचाई है और अफरा तफरी में पहने हुए कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा पाए हैं। यह अग्रिकांड प्रदेश का सबसे बड़ा अग्रिकांड माना जा रहा है। गांव को बचाने केलिए एक घंटे के अंदर ही वहां पर हजारों लोग एकत्रित हो गए थे लेकिन इस भीषण अग्रिकांड ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया था औरवहां पर एकत्रिक हजारों लोग किसी भी मकान कोबचाने के लिए गांव के अंदर प्रदेश नहीं कर पाए। इस अग्रिकांड से जहां गांव में अफरातफरी का माहौल मच गया वहीं हडकंप में कईकई महिलाएं बेसुध हो गई हैं। रातभर चीख पुकारों से गांव गूंजता रहा और अग्रि शांत नहीं हुई। इस अग्रिकांड ने जहां हरएक का दिलदहलाकर रख दिया है वहीं सौ परिवारों को देखते ही देखते बेघर कर दिया है। जिंदगी भर की कमाई जिंन घरौंदों में एकत्रित की थी वे आश्यिाने पल भर में धू-धू कर जल गए हैं और राख के ढेर में बचा तो सिर्फ वहां की यादें। इस अग्रिकांड से देवता बड़ा छमाहूं का ऐतिहासिक एवं धरोहर गांव पूरी तरह से मिट गया है। अब सिर्फ बड़ा छमाहूं व धामणी छमाहूं के रथ ही बच पाए है। ग्रामीणों के अनुसार देवता बड़ा छमाहू व धामणी छमाहू अपने हारियान के वहां निमंत्रण पर बालीचौकीगए हुए थे। बालीचौकी में देवरथों के समक्ष देव आयोजन हो रहा था और उसी समय यह घटना कोटला में घटी है और पूरे हिमाचल प्रदेश को इस दर्दनाक घटना ने दहला कर रख दिया है। इस गांव में जहां देवता भूहणी का मंदिर था वहींदेवता बड़ा छमाहूं का विशाल मंदिर जिसे कोट कहा जाता है विराजमान था इसी कोट में देवता बड़ा छमाहूं का रथ विराजमान होता था। इसके अलावा देवता धामणी छमाहू का मंदिर भी इसी गांव में था और वह भी राख हो गया है। देवता बड़ा छमाहूं व धामणी छमाहूं के करोड़ों रुपए के सोने चांदी के आभूषण भी वहीं देव भंडार में मौजूद थे जो जलकर राख हो गए हैं। इसके अलावा 100 परिवारों की संपत्ति का भी चंद मिनटों में नामोनिशां मिट गया है। देवता बड़ा छमाहूं की यह प्राचीन धरती थी और दलियाड़ा गांव के बाद कोटला गांव में ही देवता वास करता था। कोटला गांव सिर्फ बड़ा छमाहूं का ही धरोहर गांव नहीं था बल्कि यहांका इतिहास चारों छमाहूं देवताओं से जुड़ा हुआ है। अग्रिकांड की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की दल भी मौके पर पहुंच चुका है। जबकि दमकल विभाग भी समय पर नहीं पहुंचा काफीसमय बाद पहुंची दमकल विभाग की टीम भी पंगु सावित हुई।बाक्ससृष्टि के रचयिता है देव बड़ा छमाहूंदेवता बड़ा छमाहूं सृष्टि के रचनाकार माने जाते हैं। देवता बड़ा छमाहूं ओम शब्द से प्रकट हुए हैं। छमाहूं का अर्थ है छ जमा मुंह यानि कि छ समूहों का एक देवता। छ समूह में ब्रह्मा, विष्णु महेश, आदी, शक्ति, शेष नाग शामिल है। यानि कि सृष्टि के ये अनंत देवता सृष्टि की रचना करते हैं और इनके बिनासृष्टि अधूरी है। देव इतिहास के मुताबिक जब महा प्रलय आई थी तो उसके बाद सृष्टि की पुन: रचना के लिए देव बड़ा छमाहूं ने अवतार लिया था। लेकिन आज अपनी ही बसी बसायी दुनिया समाप्त कर डाली है।