यह उम्दा आगाज है, अब खूबसूरत अंजाम की उम्मीद
कोटला गांव में देखने को मिली राहत कार्यों की बेहतरीन मिसाल
सरकार, प्रशासन और दानी लोगों की तत्परता से पीड़ितों को राहत
बंजार उपमंडल के कोटला गांव के अग्निकांड पीड़ितों की मदद के लिए सरकार, प्रशासन, सरकारी विभागों और आम लोगों ने तत्परता और सुनियोजितपूर्ण तरीके से कार्य करके आपदा प्रबंधन का एक अनुकर्णीय व अनुसरणीय उदाहरण पेश किया है। अग्निकांड में अपने मकान और जिंदगी भर की पूंजी गंवा चुके 94 परिवारों के समक्ष पुनर्निर्माण एक बहुत बड़ी चुनौती है। कई पीढ़ियों की मेहनत से तिनका-तिनका जोड़कर जो आशियाने तैयार हुए थे, उनकी जगह आज राख, मिट्टी व पत्थरों का ही ढेर नजर आ रहा है। लेकिन, सरकार, प्रशासन, सरकारी विभागों व दानी लोगों के बेहतरीन राहत कार्यों को देखकर लगता है कि यह एक उम्दा आगाज है और इन्हीं प्रयासों की बदौलत अंजाम भी खूबसूरत होगा। शासन-प्रशासन व दानी लोगों की मदद और कोटलवासियों की मेहनत से भविष्य में अवश्य एक नया खूबसूरत व आदर्श गांव आकार लेगा।
15 नवंबर की शाम को गांव कोटला में आग लगने की घटना का पता चलते ही जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। स्थानीय विधायक और आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह ने अधिकारियों व कर्मचारियों को तुरंत मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए। अग्निशमन व होमगाड्र्स की गाड़ियां तुरंत कोटला के लिए रवाना कर दी गईं। बंजार के एसडीएम और जिला मुख्यालय से एडीएम भी अन्य अधिकारियों के साथ कोटला के लिए चल पड़े। जिलाधीश किसी सरकारी कार्य से शिमला में थे लेकिन उन्होंने भी रात को ही कोटला का रुख कर लिया। वह लगातार मुख्यमंत्री कार्यालय, प्रदेश सरकार के उच्च अधिकारियों और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों के संपर्क में रहे तथा घटनास्थल पर मौजूद अधिकारियों से पल-पल की जानकारी लेते रहे। जिलाधीश आधी रात को ही कोटला पहुंच गए और आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री ने भी 16 नवंबर की सुबह ही स्वयं गांव में पहुंचकर राहत कार्यों का जायजा लिया तथा अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए।
त्रासदी की भयावहता को देखते हुए सरकार ने अधिकारियों को तुरंत युद्ध स्तर पर राहत व पुनर्वास कार्य आरंभ करने के निर्देश दिए और इसमें धनराशि की कोई भी चिंता न करने की बात कही। अपने बहुत ही व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 18 नवंबर को स्वयं कोटला पहुंचे और गांव के पुनर्निर्माण के लिए तुरंत दो करोड़ रुपये जारी कर दिए। मुख्यमंत्री ने इस धनराशि व मुआवजे के अलावा अन्य माध्यमों और योजनाओं से भी गांव के पुनर्निर्माण में योगदान देने की घोषणा की है।
इस बीच विभिन्न प्रशासनिक अधिकारी, विभागीय अधिकारी व कर्मचारी गांव में ही डेरा डालकर राहत कार्यों को अंजाम देते रहे। अग्निकांड के बाद अगले दिन से ही कई संस्थाएं और दानी लोग राहत सामग्री लेकर गांव में पहुंचने शुरू हो गए लेकिन जिला प्रशासन ने राहत व पुनर्वास कार्यों को सुनियोजित ढंग से चलाने और पीड़ितों की जरूरत के अनुसार ही सामग्री का वितरण सुनिश्चित करने के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया। राहत राशि और आवश्यक सामग्री के सही एकत्रीकरण व इसे कोटला तक पहुंचाने के लिए जिला मुख्यालय में भी प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम लगातार सक्रिय रही।
इन सभी प्रबंधों के कारण ही पीड़ितों की जरूरत के अनुसार अतिशीघ्र राहत सामग्री का वितरण सुनिश्चित हुआ और अब कोटला में आम जनजीवन तेजी से पटरी पर लौटने लगा है। भीषण त्रासदी और विपरीत परिस्थितियों में राहत व पुनर्वास कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम देने की यह पहल निःसंदेह हिमाचल प्रदेश के आपदा प्रबंधन ढांचे में एक नया अध्याय जोड़ेगी तथा भविष्य में आपात परिस्थितियों से इसी तर्ज पर निपटने के लिए पे्ररित करती रहेगी।
उधर, आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह का कहना है कि कोटला गांव के पुनर्निर्माण के लिए सरकार की ओर से हरसंभव सहायता प्रदान की जा रही है।