धर्मशाला, 30 जून: भाषा एवं संस्कृति विभाग के सौजन्य से कांगड़ा कला संग्रहालय में आयोजित प्रसिद्ध चित्रकार जितेन्द्र सिंह व श्रीमती दीप्ती वारशने की आधुनिक कला पर आधारित पेंटिंग की प्रदर्शनी का आज

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समापन हो गया। इस अवसर पर उप-निदेशक, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय धर्मशाला अजय पाराशर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने प्रदर्शनी में लगाई पेंटिंग्स का अवलोकन किया तथा श्रेष्ठ कृतियों के लिए कलाकारों की सराहना की। इस तीन दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का कला प्रेमियों ने भरपूर लुत्फ उठाया। 
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ओआरएस के पैकेट बांटेंगी आशा वर्कर्स 11 से 23 जुलाई तक मनाया जाएगा आंत्रशोथ (डायरिया) नियंत्रण पखवाड्ा कुपोषित शिशुओं की होगी पहचान, स्कूलों में बताया जाएगा स्वच्छता का महत्व

   प्रदेश भर में 11 से 23 जुलाई तक मनाए जाने वाले आंत्रशोथ (डायरिया) नियंत्रण पखवाड़े के दौरान स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से व्यापक अभियान चलाया जाएगा। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी विनय सिंह ठाकुर ने वीरवार को स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, पंचायतीराज व अन्य विभागांे के

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अधिकारियों के साथ बैठक करके कुल्लू जिला में इस अभियान की रूपरेखा तय की। 
   उन्होंने बताया कि इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मी, आंगनबाड़ी वर्कर्स और आशा वर्कर्स लोगों को डायरिया व अन्य जलजनित रोगों से रोकथाम की जानकारी देंगे। 11 से 17 जुलाई तक सभी आशा वर्कर्स घर-घर जाकर ओआरएस के पैकेट बांटेंगी। चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी विभिन्न अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस बनाने की विधि बताएंगे। यह अभियान विशेष रूप से पांच साल से कम आयु के शिशुओं पर केंद्रित रहेगा, क्योंकि डायरिया से होने वाली मौतों में लगभग दस प्रतिशत मौतें इसी आयु वर्ग के बच्चों की होती हैं। ये मौेतें मुख्यतः गर्मियों व बरसात के मौसम में ही होती हैं। 
  एडीएम ने बताया कि कुपोषण के शिकार शिशुओं की भी पहचान की जाएगी और अभिभावकों को उनके पालन-पोषण में बरती जानी वाले सावधानियों से अवगत करवाया जाएगा। स्कूलों में भी स्वास्थ्य कर्मी बच्चों को डायरिया से रोकथाम की जानकारी देंगे और उन्हें स्वच्छता के लिए प्रेरित करेंगे। एडीएम ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सभी स्कूलों में मिड डे मील, पेयजल टैंकों व शौचालयों की सफाई सुनिश्चित करें। उन्होंने सभी पंचायतीराज संस्थाओं, नगर निकायों, विभिन्न संस्थाओं और समस्त जिलावासियों से भी आंत्रशोथ (डायरिया) नियंत्रण पखवाडे को सफल बनाने की अपील की। 
   बैठक में डा. राकेश ठाकुर और डा. रमेश गुलेरिया ने अभियान की विस्तृत जानकारी दी। इस मौके पर जिला पंचायत अधिकारी राजन कपूर, महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा व अन्य विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे। 

राजेंद्र राणा ने की आपदा प्रबंधों की समीक्षा    राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने बुधवार को कुल्लू में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों और इससे जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने बुधवार को कुल्लू में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों और इससे जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करके जिले में आपदा से निपटने के लिए किए जा रहे प्रबंधों की समीक्षा की। जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के सम्मेलन कक्ष में आयोजित इस बैठक में राणा ने अधिकारियों से आपदा प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की तथा उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। 

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   उन्होंने बताया कि प्रदेश में किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए एक प्रभावी ढांचा विकसित किया जा रहा है। नूरपुर में राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) की कंपनी स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी हैं। जीआईसी की जमीन एनडीआरएफ के नाम हस्तांतरित की जा रही है और इसकी एवज में 6.13 करोड़ की धनराशि की अदायगी भी कर दी गई है। एनडीआरएफ की इस कंपनी में कुल तीन यूनिटें होंगी। प्रत्येक यूनिट में 45-45 प्रशिक्षित अधिकारी व कर्मचारी तैनात होंगे।  
    राणा ने बताया कि कुल्लू में जिला एमरजेंसी आपरेशन सेंटर की स्थापना का कार्य पूरा कर लिया गया है। 24 घंटे कार्य करने वाले इस सेंटर के लिए आठ कर्मचारियों की नियुक्ति को भी सरकार ने मंजूरी दे दी है। शीघ्र ही इनकी नियुक्तियां कर दी जाएंगी। इस सेंटर के टैलीफोन नंबर के अलावा टाॅल फ्री नंबर 1077 पर भी किसी भी तरह की आपदा की तुरंत सूचना दी जा सकती है। राणा ने कहा कि पंचायत व गांव स्तर पर आपदा की त्वरित सूचना के लिए एक मैसेज सेवा भी आरंभ की गई है। इसमें जिले की सभी 204 ग्राम पंचायतों के प्रधानों-उपप्रधानों और संबंधित विभागों के अधिकारियों को जोड़ा गया है। 

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   बैठक में राणा ने विभिन्न उपमंडलों के एसडीएम के अलावा पीडब्ल्यूडी, आईपीएच, स्वास्थ्य व अन्य विभागों के अधिकारियों को भी अपने-अपने क्षेत्रों में आवश्यक प्रबंध करने और एहतियात बरतने के निर्देश दिए। उन्होंने उपमंडल स्तर पर भी कंट्रोल रूम बनाने और इन्हें पहली जुलाई से चालू करने को कहा।  राणा ने कहा कि कुल्लू जिला पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है लेकिन यहां बरसात के मौसम में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बनी रहती है। इसलिए पर्यटकों को विशेष रूप से आगाह करने के लिए नदी-नालों के किनारे सूचना व चेतावनी बोर्ड अवश्य लगाए जाएं। 
   उन्होंने कहा कि ग्राम व पंचायत स्तर पर गठित आपदा प्रबंधन कमेटियों में पूर्व सैनिकों और स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं की सेवाएं ली जानी चाहिए। इन्हें आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। बच्चों को आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए शिक्षण संस्थानों में माॅक ड्रिल्स भी करवाई जाएंगी।
   इससे पहले उपायुक्त एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष हंसराज चैहान ने राणा का स्वागत किया जिला में किए गए आपदा प्रबंधों की जानकारी दी। एडीएम एवं प्राधिकरण के नोडल अधिकारी विनय सिंह ने भी आपदा प्रबंधों का विस्तृत ब्यौरा पेश किया। 

संवाद से प्रेरणा’ सच्ची लगन, कठोर परिश्रम व दृढ़ निश्चय ही सफलता का आधार: रितेश चौहा

धर्मशाला, 29 जून: उपायुक्त कांगड़ा रितेश चौहान की अभिनव पहल ‘‘संवाद से प्रेरणा’’ कार्यक्रम की कड़ी ‘‘विद्यार्थी संवाद’’ के अंतर्गत आज फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र की वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला हौरीदेवी की जमा दो की छात्राओं ने उनसे यहां उपायुक्त कार्यालय में भेंट की। ‘विद्यार्थी संवाद’ के माध्यम से जिला प्रशासन छात्र-छात्राओं को उनकी पसंद के किसी क्षेत्र विशेष के जिला में तैनात अधिकारी से मुलाकात और उनके जीवन के संघर्ष, प्रयास अनुभव से भविष्य के लिए सीख उपलब्ध करवाने का अवसर प्रदान करवाता है। इसी श्रृखंला में आज हौरीदेवी स्कूल की शिवानी पठानिया, साक्षी ठाकुर, कंचन ठाकुर, अनिता राणा, कल्पना, कृतिका, आरती राणा, अल्का भाटिया, कविता भाटिया तथा दीक्षा ठाकुर ने जिलाधीश से भेंट की। 
    रितेश चौहान ने कहा कि बाल मन में

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अनेक आकांक्षाएं, अपेक्षाएं तथा सम्भावनाएं विद्यमान रहती हैं तथा विद्यार्थियों को सही समय पर सही मार्गदर्शन उपलब्ध हो तो वे आसानी से वास्तविक क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस पहल के जरिए विद्यार्थियों को पंसदीदा क्षेत्र के अधिकारी के साथ न केवल चर्चा करने एवं मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जा रहा है, बल्कि इससे विद्यार्थियों को उस क्षेत्र विशेष की जटिलताओं एवं आवश्यकताओं के जानने समझने और अपेक्षित कौशल की जानकारी भी मिल सकेगी, जिससे वे लक्ष्य प्राप्ति के लिए अधिक व्यवस्थित तरीके से प्रयास कर सकेंगे।

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     उपायुक्त ने विद्यार्थियों से उनकी पढ़ाई-लिखाई, रूचियों एवं भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की तथा पढ़ाई, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और करियर से जुड़े विभिन्न सवालों के जवाब दिए। उन्होंने स्कूल में पूर्ण अनुशासन से मन लगाकर पढ़ाई करने तथा पढ़ाई के साथ-साथ रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को आगे बढ़ने के लिए अपनी उड़ान हमेशा ऊंची रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सोच ऊंची होगी तो मंजिल तक पहुंचने में उतनी ही आसानी होगी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी किताबी कीड़ा बनने की बजाए ऑलराउंडर बनंे। 
     रितेश चौहान ने विद्यार्थियों को सफलता के लिए कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपने विचारों एवं ज्ञान को सही-सही अभिव्यक्त करने की कला सीखें। उन्होंने विद्यार्थियों को भाषाई ज्ञान, अच्छी लिखावट, व्याकरण ज्ञान तथा लेखन एवं वाक कला में निपुण बनने की सलाह दी।
     इसके उपरांत, छात्राओं ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांगड़ा, शालिनी अग्निहोत्री (आईपीएस) से मुलाकात की। शालिनी अग्निहोत्री ने उन्हें पूरी मेहनत एवं लगन से पढ़ाई करने तथा अपना लक्ष्य निर्धारित कर एकाग्रता से आगे बढ़ने की सलाह दी। 
     भेंट के उपरांत छात्राओं ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उपायुक्त एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से भेंट करना तथा उनका मार्गदर्शन मिलना उनके लिए अविस्मरणीय पल हैं। उनसे प्राप्त सीख एवं प्रोत्साहन निश्चित ही भविष्य निर्माण में मददगार रहेगा। 
     इस अवसर पर हिमुडा के अधीक्षण अभियंता सुरेन्द्र वशिष्ट, अध्यापक नरेन्द्र वशिष्ट तथा स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान निर्वान सिंह उपस्थित थे। 
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स्वच्छ कांगड़ा-सुन्दर कांगड़ा अभियान जिला के समस्त उपमण्डल स्तर पर हुआ 23 टन कूड़े-कचरे का निपटारा: रितेश चौहान 

धर्मशाला, 28 जून: उपायुक्त कांगड़ा रितेश चौहान ने कहा कि कांगड़ा जिला को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने के लिए 19 से 23 जून तक चला मानसून पूर्व विशेष स्वच्छता अभियान सभी के सक्रिय सहयोग से सफल रहा है। उन्होंने बताया कि आज उपायुक्त कार्यालय में सूचना के अनुसार जिले के समस्त उपमण्डल स्तर की स्वच्छ कांगड़ा सुन्दर कांगड़ा अभियान के अन्तर्गत रिपोर्ट उपलब्ध हुई है। उन्होंने बताया कि जिला भर में उपमण्डल स्तर में हजारों किलो वजन के प्लास्टिक कचरे, पॉलिथीन एवं अन्य कूड़े-कचरे का निपटान किया गया है। 
     चौहान ने कहा कि जिले के समस्त उपमण्डल में चिन्हित 1569 हॉटस्पॉट की सफाई की गई, जिसमें 23 टन प्लास्टिक कचरे, पॉलिथीन एवं अन्य कूड़े-कचरे का निस्तारण किया गया। उन्होंने कहा कि इस अभियान में उपमण्डल स्तर के 18 हजार 659 विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों, स्वयं सेवी संस्थाओं एवं स्थानीय लोगों ने भाग लिया। 
     अभियान के तहत सभी पंचायतों, शहरी निकायों, प्राकृतिक जल स्त्रोतों, नालों, खड्डों, सरकारी कार्यालयों एवं महत्वपूर्ण स्थलों की साफ-सफाई सुनिश्चित बनाने के साथ-साथ पर्यटक स्थलों, ऐतिहासिक भवनों, स्मारकों, पार्कों, मैदानों, धार्मिक स्थलों, शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों, सब्जी मंडी, ढाबों तथा बस अड्डों की साफ-सफाई की गई।
   उपायुक्त ने कहा 19 व 20 जून को जिले मेें सभी कार्यालयों के विभागाध्यक्षों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपने कार्यालय परिसर की साफ-सफाई, नकारा फाईलों को नष्ट करना तथा स्टोर में पुराने पड़े हुए उपकरणों को नकारा घोषित करने संबंधी कार्यों का निपटारा किया गया था। इस दौरान जिला के सभी उपमण्डल स्तर में 1 लाख 31 हजार 280 अनावश्यक फाईलों को नष्ट किया गया है।  

लोक संस्कृति का संरक्षण करेगी सांस्कृतिक परिषद-उपयुक्त कुल्लू, टांकरी के विशेषज्ञ खूब राम पर बने वृतचित्र का किया लोकार्पण।

उपायुक्त एवं जिला सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष हंसराज चैहान ने कहा है कि कुल्लू जिला की लोकसंस्कृति बहुत ही समृद्ध व प्राचीन है। इसके संरक्षण के लिए जिला सांस्कृतिक परिषद द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। मंगलवार को देव सदन में भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से स्कूली विद्यार्थियों के लिए आयोजित एक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए

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उपायुक्त ने यह जानकारी दी। हिंदी व्याकरण और हिमाचली संस्कृति पर आधारित प्रश्नोत्तरी में जिला मुख्यालय और इसके आस-पास के लगभग एक दर्जन स्कूलों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त ने कुल्लू जिला के प्रसिद्ध टांकरी लिपि विशेषज्ञ खूब राम खुशदिल पर तैयार किए गए एक वृतचित्र का विमोचन भी किया। इस वृतचित्र का निर्माण जिला सांस्कृतिक परिषद और भाषा एवं संस्कृति विभाग के सौजन्य से ब्लू बर्ड एजूकेशनल सोसाइटी द्वारा किया गया है। 

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   इस मौके पर उपायुक्त ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से नई पीढ़ी हमारी प्राचीन लोकसंस्कृति से रूबरू होती है और इसका संरक्षण होता है। खूब राम खुशदिल पर बनाए गए वृतचित्र की सराहना करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जिले की अन्य सांस्कृतिक धरोहरों, कलाओं व परंपराओं के संरक्षण के लिए भी सांस्कृतिक परिषद हरसंभव कदम उठाएगी। 
  इस मौके पर उपायुक्त ने टांकरी के विशेषज्ञ खूब राम खुशदिल को विशेष रूप से सम्मानित किया और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया। इसमें ओएलएस स्कूल ने प्रथम, भारत भारती स्कूल ने द्वितीय और गल्र्स स्कूल सुलतानपुर ने तीसरा स्थान हासिल किया। आर्य आदर्श विद्यालय और ब्यास संस्कृत महाविद्यालय को सांत्वना पुरस्कार दिए गए। 

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   जिला भाषा अधिकारी प्रोमिला गुलेरिया ने उपायुक्त का स्वागत किया और जिले में विभाग की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डा. ओम कुमार शर्मा ने किया। इस मौके पर जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी संजय शर्मा, जिला के साहित्यकार और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। 
   

पानी के निरंतर सैम्पल लें समितियां-रोहिणी चौधरी, ज़िला परिषद अध्यक्षा ने अधिलारियों से की बैठक।

जिला परिषद अध्यक्ष रोहिणी चैधरी ने सभी ग्राम पेयजल स्वच्छता समितियों से समय-समय पर जलस्रोतों से पानी के सैंपल लेकर नजदीकी प्रयोगशाला में इन्हें टैस्ट करवाने की अपील की है, ताकि पेयजल की गुणवत्ता बनी रहे। सोमवार को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत जिला पेयजल स्वच्छता मिशन की त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए रोहणी चैधरी ने यह अपील की। बैठक में पेयजल से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी व्यापक चर्चा की गई। 

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   जिला परिषद अध्यक्ष ने बताया कि नई पंचायतों के निर्वाचन के बाद ग्राम पेयजल स्वच्छता समितियों का भी नए सिरे से गठन किया गया है। ये समितियां अपने-अपने क्षेत्रों में पेयजल की गुणवत्ता बनाए रखने में अहम योगदान दे सकती हैं। पंचायत जनप्रतिनिधियों व स्थानीय लोगों को इसके लिए सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग का सहयोग करना चाहिए। 
   इस मौके पर जिला पेयजल स्वच्छता मिशन के सदस्य सचिव और सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के अधिशाषी अभियंता केआर कुल्लवी ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम का विस्तृत ब्यौरा पेश किया और वित वर्ष 2016-17 के विभिन्न लक्ष्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिले की सभी 204 ग्राम पंचायतों को फील्ड टैस्टिंग किटें दी गई हैं। इनके माध्यम से पानी की गुणवत्ता की जांच की जा सकती हैं। इसके अलावा पानी के सैंपल लेकर इन्हें जांच के लिए सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की प्रयोगशालाओं में भी भेजा सकता है। अधिशाषी अभियंता ने बताया कि शमशी में विभाग की जिला प्रयोगशाला के अलावा कटराईं, बंजार और आनी में भी पेयजल की जांच प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। 

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  उन्होंने बताया कि जिला में इस वित वर्ष के दौरान विभाग की प्रयोगशालाओं में पांच हजार से अधिक सैंपलों की जांच का लक्ष्य रखा गया है, जबकि फील्ड टैस्टिंग किटों के माध्यम से भी तीन हजार से अधिक सैंपलों की जांच की जाएगी। पंचायत जनप्रतिनिधियों और आम लोगों को भी पेयजल की गुणवत्ता के प्रति जागरूक किया जाएगा। प्रिंट व इलैक्ट्राॅनिक मीडिया और कला जत्थों के माध्यम से भी लोग जागरूक किए जाएंगे। शिक्षण संस्थानों में बच्चों को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। 
   बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वाईडी शर्मा ने भी पेयजल की गुणवत्ता के संबंध में कई महत्वपूर्ण सुझाव रखे तथा स्वास्थ्य विभाग की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। 

मुख्यमंत्री एक दिवसीय दौरे पर सैंज पहुंचे, जन सभा को संबोधित करते की घौषणाये, गड़सा के रुयाड को मिला पशु चिकित्सालय।

मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में हुए तीव्र विकास का श्रेय यहां के मेहनतकश लोगों तथा केन्द्र व प्रदेश में समय-समय पर सत्तासीन रही कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों को जाता है।

उन्होंने कहा कि बंजार मल निकासी योजना के लिए 5.16 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं और इसकी निविदा प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत गड़ापारली के शक्ति तथा मरोड़ गांव में बिजली उपलब्ध करवाने के लिए 98 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

मुख्यमंत्री की घोषणाएं

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मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने रूवाड़ में पशु औषधालय, राजकीय प्राथमिक पाठशाला जिया को माध्यमिक पाठशाला में स्तरोन्नत करने तथा और तलाड़ा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तरोन्नत करने की घोषणाएं की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के युग में विज्ञान की शिक्षा अत्यंत आवश्यक हो गई है तथा प्रदेश सरकार प्रत्येक वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाआों में चरणबद्ध तरीके से विज्ञान कक्षाएं आरम्भ करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी बच्चों को गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए वचनबद्ध है और वर्तमान सरकार के गत साढ़े तीन वर्षों के दौरान कार्यकाल में प्रदेश में 1004 नये स्कूल खोले व स्तरोन्नत किए गए हैं। इस के अलावा प्रदेश के ग्रामीण व दूरदराज क्षेत्रों में 29 नये महाविद्यालय खोले गए हैं।

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उन्होंने कहा कि इसी दौरान प्रदेश में 135 स्वास्थ्य संस्थान खोले व स्तरोन्नत किए गए हैं और 610 ये अधिक चिकित्सकों व विशेषज्ञों तथा 600 नर्सों के पद भी भरे गए हैं। उन्होंने कहा कि चंबा, हमीरपुर तथा सिरमौर जिलों में मेडिकल काॅलेज खोले जा रहे हैं जिसके लिए प्रति काॅलेज 190 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इन नये मेडिकल काॅलेजों के लिए 1775 से अधिक विभिन्न श्रेणियों के पद सृजित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लिए एम्स स्वीकृत किया गया है जोे बिलासपुर जिला में खोला जाएगा।

श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि गत साढ़े तीन वर्षों के दौरान प्रदेश में 1415 किलोमीटर नई मोटर योग्य सड़कों तथा 134 पुलों का निर्माण किया गया है और आज प्रदेश में 34,500 किलोमीटर से भी अधिक लंबी मोटर योग्य सड़के हैं।

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मुख्यमंत्री ने 1.50 करोड़ रुपये की लागत से सैंज खड्ड पर बने तलाड़ा पुल का भी शुभारम्भ किया। उन्होंने भलान-1 (रोट) के लिए 1.12 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली उठाऊ पेयजल योजना की आधारशिला रखी। इस योजना के बन जाने से रोट-1, रोट-2 तथा भलान-2 गांवों सहित 30 बस्तियों की लगभग 1600 से अधिक की जनसंख्या लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना का कार्य वर्ष 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने 1.58 करोड़ रुपये की लागत से ग्राम पंचायत धौग्गी के सैंज में निर्मित होने वाले औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, लगभग आठ करोड़ रुपये की लागत से राजकीय डिग्री काॅलेज सैंज, के भवन तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सैंज में 1.35 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले विज्ञान खंड की भी आधारशिला रखी।

मुख्यमंत्री ने समारोह के उपरांत मीडिया से वार्तालाप करते हुए कहा कि यदि हिमाचल लोक हित पार्टी का भाजपा में विलय होता है तो इसका कांग्रेस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी प्रदेश में सबसे बड़ा राजनीतिक दल है जिसका लोगों के बीच मजबूत जनाधार है।

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आवारा पशुओं व गौवंश संवर्द्धन बोर्ड  पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो पशुओं को खुला छोड़ते हैं और सरकार इस पर गंभीरतापूर्वक कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार पशुओं के मालिकों की पूरी जानकारी देने वाले डिवाईस पशुओं में लगाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि धन की कमी के चलते प्रत्येक पंचायत में अलग से गौ सदन खोले जाने संभव नहीं है ऐसे में सरकार ने ‘समूह गौ सदन’ बनाने की नीति बनाई है जहां कई पंचायतों अथवा विधानसभा क्षेत्रों के त्यागे गए पशुओं को रखा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इन पशुओं को आवारा कहना गलत है क्योंकि गलती इनके मालिकों की है जिन्होंने इन्हें त्यागा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ऐसे त्यागे गए पशुओें के लिए प्रदेश भर में चरणबद्ध तरीके से ‘आश्रय स्थल’ खोल रही है जहां उन्हें सही प्रकार से चारा इत्यादि उपलब्ध करवाया जाएगा।

आयुर्वेद मंत्री श्री कर्ण सिंह ने सैंज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री का स्वागत किया। उन्होंने मुख्यमंत्री का सैंज में काॅलेज भवन व आईटीआई भवन आधारशिला रखने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने क्षेत्र में हुए विकास कार्यों की भी जानकारी दी तथा मुख्यमंत्री से सैंज में बस अड्डा निर्माण का भी आग्रह किया।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री का भंुतर पहुंचने पर आयुर्वेद मंत्री श्री कर्ण सिंह, विधायक श्री महेश्वर सिंह, आयर्वुेद मंत्री की धर्मपत्नी डा. शिवानी सिंह तथा भुट्टीको के अध्यक्ष श्री सत्य प्रकाश तथा जिला के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वागत किया।

सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती विद्या स्टोक्स, प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव श्री सुंदर सिंह, जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष श्री बुद्धि सिंह ठाकुर, मंडी ससंदीय क्षेत्र के युवा कांग्रेस अध्यक्ष आदित्य विक्रम सिंह, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती विद्या नेगी, जिला पषिद की अध्यक्ष श्रीमती रोहिनी चैधरी, हिमबुनकर के अध्यक्ष श्री तेहाल सिंह, खंड कांग्रेस समिति मनाली के अध्यक्ष श्री भुवेश्वर गौड़, खंड कांग्रेस समिति बंजार के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र शर्मा, उपायुक्त श्री हंस राज चैहान, पुलिस अधीक्षक श्री पदम सिंह व अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

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पिन वैली में सेना ने लगाया सहायता शिविर, ट्रैकिंग करते मणिकर्ण पहुंची टीम।

  लाहौल-स्पीति जिला की दुर्गम पिन घाटी में विशेष सहायता शिविर और ट्रैकिंग अभियान के लिए गई थल सेना की पश्चिमी कमान की एक टीम ने पिन पार्वती दर्रे को पार करते हुए शनिवार को कुल्लू जिला की मणिकर्ण घाटी में प्रवेश किया।

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  ब्रिगेडियर राजीव घई के नेतृत्व में इस टीम ने अपने अभियान के दौरान 18 व 19 जून को पिन घाटी के बाशिंदों के लिए विशेष सहायता शिविर भी लगाया। ब्रिगेडियर घई ने बताया कि लगभग 9200 फुट की उंचाई पर स्थित पिन घाटी में लगाए गए इस शिविर के दौरान स्थानीय निवासियों के मैडिकल व डेंटल चैकअप के अलावा उनके पशुओं का भी उपचार किया गया। इसके अलावा स्कूली बच्चों को लेखन सामग्री वितरित की गई तथा सैन्य अधिकारियों ने उनका मार्गदर्शन भी किया। क्षेत्र के लगभग 400 लोगों ने इस विशेष सहायता शिविर का लाभ उठाया।
   शिविर के दौरान सैन्य अधिकारियों व जवानों ने स्थानीय युवाओं के साथ क्रिकेट मैच भी खेला। ब्रिगेडियर घई ने बताया कि पिन घाटी की भौगोलिक परिस्थितियां बहुत ही कठिन हैं और यह इलाका साल में लगभग छह महीनों तक बर्फ से ढका रहता है। यहां के बाशिंदों की सुविधा के लिए सेना की पश्चिमी कमान ने विशेष पहल करते हुए सहायता शिविर का आयोजन किया। 
   शिविर के बाद 20 जून को सेना के इस दल ने अपना ट्रैकिंग अभियान शुरू किया और पिन पार्वती दर्रे को पार करते हुए यह दल 25 जून को मणिकर्ण घाटी में पहुंचा। इस दल में ब्रिगेडियर राजीव घई के अलावा कर्नल हिमांशु, अन्य अधिकारी, जेसीओ व जवान भी शामिल हैं। 

विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल तांदी, चन्द्रा और भागा का संगम स्थल है तांदी।

   लाहौल-स्पीति हिमाचल प्रदेश का दूसरा सीमांत जिला है। यह दक्षिण दिशा में कुल्लू और कांगड़ा से लगा हुआ है। इसके पूर्व में किन्नौर तथा उत्तर में लद्धाख क्षेत्र स्थित है और पश्चिम में यह चंबा से जुड़ा हुआ है। राज्य के अन्य भागों की भांति यह भी पर्वतीय क्षेत्र है। पूरा जिला ऊंची पहाड़ी चोटियों और घाटियों से आबाद है। इसके उत्तर में बारालाचा के दर्रे से ही विपरीत दिशाओं में चंद्र और भागा नदियां निकलती है और दोनों एक दूसरे के विपरीत दिशा में बहती हुई तांदी नामक स्थान पर मिलकर एक संगम का निर्माण करती है। आगे इन्हें चंद्रभागा या चिनाब नदी का नाम दिया जाता है। 

    मानव संस्कृति के विकास में प्राचीन मंदिरों, धार्मिक स्थलों और नदी नालों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। चंद्र और भागा के संगम स्थल तांदी ने अपने आगोश में अनेक रहस्मयी लाहुली संस्कृति और प्राचीन इतिहास को छिपा कर रखा हैं। आदिकाल से ही इस स्थल को लाहुल के जनमानस के लिए अत्यन्त पवित्र और धार्मिक स्थल रहा है। इस स्थल के बारे में अनेक किवदंतियां हैं। इस संगम स्थल के इतिहास तथा आस-पास के क्षेत्रों एक नजर डाले तो ये अति प्राचीन काल से धार्मिक तीर्थ स्थान रहा है जिसका वर्णन हिन्दु धर्म तथा बोद्ध धर्मों के ग्रंथों में किया गया है। चिनाब नदी वैसे भी सभी धर्म अनुयायियों के लिए पवित्र नदी है। पुराणों के अनुसार इस नदी का नाम अस्किनी नदी था। यहां ये भी उल्लेख है कि भारत में सूर्य पूजा का प्रचार करने वाले कृष्ण के पुत्र साम्ब को पहली बार सूर्य प्रतिमा चंद्रभागा नदी में मिली थी, ऐसा अनेक पुराणों में वर्णित है। इस प्रतिमा की प्राप्ति से ज्ञात होता है कि हिमालय क्षेत्र में अन्य धर्मों के साथ सूर्य की भी उपासना की जाती थी और इस क्षेत्र में प्रचलित प्राचीन सूर्य पूजा पर भी प्रकाश पड़ता है। 

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   पांडवों के स्वर्गारोहण का रास्ता भी इस संगम से माना जाता है। यहां एक जनश्रुति है कि स्वर्गारोहण के दौरान द्रौपदी ने अपने प्राण इस स्थल पर त्यागे थे और उनका अन्तिम संस्कार भी संगम में ही किया गया था। इसे हिन्दु और बौद्ध दोनों ही समान रूप से पवित्र समझते हैं। दोनों धर्मों के लोग अपने मृतकों को अस्थ्यिों को यहीं विसर्जित करते हैं। अंतिम संस्कार के लिए स्थानीय ब्राह्मण यानि भाट और लामाओं का सहयोग प्राप्त किया जाता है। यहां  यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि दाह संस्कार और कर्मकांडों के अवसर पर स्थानीय भाट अधिकतर अपने मंत्रोच्चारण में जरूरी है कि दाह संस्कार और अन्य कर्मकाण्डों के अवसर पर स्थानीय भाट अधिकतर अपने मन्त्रोच्चारण में पाण्डवों द्वारा किए गए धार्मिक कृत्यों का बखान भी करते है। संगम तट पर किए गए दाह संस्कार को पाण्डवों द्वारा किए गए धार्मिक कृत्यों का बखान भी करते है। संगम तट पर किए गए दाह संस्कार को सीधा स्वर्ग दायक समझा गया है। इस तट में पाण्डवों के दाह संस्कार से जुड़ने पर यह स्थान महा शमशान माना गया है। काशी, हरिद्वार तथा सरस्वती के संगम स्थल प्रयाग की तरह ही इस का महा शमशानों का महत्व प्राप्त है। स्थानीय तांत्रिकों और बौद्ध शास्त्रों में यह आठ महा शमशान में से एक माना गया है। लाहुली जनश्रुति और कई महान ऋषि मुनियों ने इस धार्मिक स्थल को हरिद्वार से अधिक पवित्र बताया गया कि इस संगम में 108 सोने की पोडियां है जो सीधा स्वर्ग के लिए मार्ग प्रशस्त करवाता है। इसके अतिरिक्त संगम के संबंधों में अनेक जन श्रुतियां तथा किवदंतियां है। वैसे तो चंद्र और भागा लाहुल की दो मुख्य नदियां है। इन दोनों नदियों के बारे में अनेक प्रकार की लोक कथाएं सुनने को मिलती है। लोक मान्यता है कि चन्द्रमा की बेटी का नाम था चंद्रा और भगवान सूर्य के पुत्र का नाम था भागा। चंद्र और भागा आपस में बेहद प्यार करते थे लेकिन ये दो आपस में बिछड़ गए औ इन दोनों का पुनः मिलन तांदी नाम स्थान पर हुआ। वैसे भी चिनाब नदी के साथ अनेक प्रेम गाथ्रााएं बाद में भी जुड़ती रही है। कुछ लोग लाहुल में जाति व्यवस्था की उत्पति भी इसी स्थल से मानते हैं। 

   लाहुली संस्कृति सभ्यता और इतिहास के माध्यम से संगम की भूमि पर शोध करें तो अनेकों रहस्यमय तथ्य उजागर होते हैं। इस क्षेत्र में विभिन्न देवी देवताओं के धार्मिक स्थल है लेकिन संगम की अपनी एक अलग से पहचान है। संगम तट की चोटी पर गुरू घन्टाल का मंदिर स्थापित है जो प्राचीन काल में महाकाली देवी का मन्दिर था।  लाहौल घाटी में यह भी मान्यता है कि विभिन्न धार्मिक त्यौहारों एवं उत्सवों के दौरान उदयपुर मृकुला देवी रात्रि के समय तांदी संगम में स्नान करने आती है और वापिस जल मार्ग से अपने निवास स्थान को वापिस होती है। लोक मान्यता है कि शिव और पार्वती का विवाह इस स्थान पर हुआ था। गुरू घन्टाल मन्दिर के सीधे ऊपर डिलबूरी शिखर है जिस की परिक्रमा करने से लोग अपने जीवन काल में पुण्य कमाते है और अनेक पापों से मुक्ति भी प्राप्त करते है। बौद्ध धर्म के तांत्रिक गुरू पदम सम्भव ने जब अपने तिब्बत प्रवास के दौरान इस स्थल पर तपस्या की उसके बाद इस मन्दिर का नाम गुरू घन्टाल पड़ा जिससे क्षेत्र में लाहुल धर्म का जन्म हुआ जो आज भी निरन्तर जारी है। घाटी के हिन्दुओं स्वांगला ब्राह्मणों तथा बौद्ध धर्म के लामाओं का धार्मिक कृत्यों का तन्त्र गुरू भाट द्वारा सम्पन्न किया जाता है। 

   यहां ये भी लोक मान्यता है कि अति प्राचीन काल में स्वांगला ब्राह्मण एवं आर्य जाति के लोग तांदी में अपने यजमानों के मृत पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए आया करते थे। उस समय रोहतांग दर्रा पार करना सुगम नही था। अतः ब्राह्मण अपनी दिव्य शक्ति से उड़कर तांदी पहुंचते थे। अगर यहां ब्राह्मणों के श्राद्ध देने की बात कहीं सत्य प्रतीत होती है कि इसी तट के दूसरे किनारे पर गौशाल गांव है।         

    इस गांव में प्राचीन काल से स्वांगला ब्राह्मण भाट परिवार रहता था। जो संगम में अस्थि विसर्जन कार्य तथा अंतिम संस्कार जैसे कार्यों में यजमानों का सहयोग करते थे। यह ब्राह्मण परिवार महाकाली के उपासक है। लेकिन क्षेत्र में अन्य धर्मों के प्रभाव में आने से लोगों ने स्थानीय धर्म को छोड़कर दूसरे धर्मों के अनुयायी बन गए। समय के साथ-साथ ब्राह्मण परिवार को गौशाल गांव छोड़ कर जुड़ा तथा किरतिंग गांव में जाकर बस गये तथा ब्राहण आज भी अपने यजमानों के लिए धार्मिक कृत्य कर रहे हैं। गुरू घन्टाल में स्थित महाकाली देवी ब्राह्मणों की कुल देवी है। देवी के वाहक को दो काले भूरे रंग के कुत्तों को माना जाता है। ब्राह्मणों के स्थानांतरण, धर्म परिवर्तन तथा अन्य धर्म के प्रभाव में आने से इस तट की आस्था में कमी आ गई है और लोग भी इसके महत्व को कम आंकने लगे और लोगों ने प्रवाह के लिए हरिद्वार की और रूख किया। लाहुल में आज भी यह मान्यता है कि जिस व्यक्ति का दाह संस्कार संगम में किया जाता हैं उसे सीधे स्वर्ग मिलता है। यहां एक जनश्रुति है कि स्वांगला समुदाय के लोग मृत के अस्थियों को मनुष्य का आकार देकर घोड़े के ऊपर रखकर अपने कुल पुरोहित भाट के साथ संगम में प्रवाह करने के लिए आते थे। 

    इसी प्रकार बौद्ध धर्म के लोग भी अस्थि को मनुष्य का आकार देकर पीठ में उठा कर यहां विसर्जन के लिए आते थे। अब लोगों ने लगभग इस प्रथा को छोड़ ही दिया है। स्वांगला लोगों के लिए संगम में अस्तु प्रवाह कराना एक आर्थिक बोझ भी था। इस सम्बन्ध में परिवार वालों को अस्थि में लगाए गए वेष-भूषा आभूषणों सहित घोड़े को कुल पुरोहित को दान करना पड़ता था, जोकि आम परिवार के वश में नहीं होता था। इस संदर्भ में कुछ बुजुर्ग बताते है कि गोहरमा गांव के ब्राह्मण परिवार जब अपने मृतक के अस्तु प्रवाह करने के लिए तट में आया तो उसने अपनी दिव्य शक्ति और मंत्रों से अपने आप को सवार घोड़े के ऊपर से आधा फुट उपर उठा लिया था क्योंकि अपने दिव्य शक्ति के माध्यम से आसमान में उड़ जाना चाहता था। ब्राह्मण को ऊपर उठते देखकर वाद्य यन्त्रों से जुड़े व्यक्ति ने उस की टांग खींच लिया जिसके कारण ब्राह्मणम आसमान में उड़ नहीं पाया। 

    इस पवित्र संगम की महता तब और कम हुई जब धार्मिक गुरूओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने तट पर आयोजित की जाने वाले यज्ञ, हवन को बंद कर दिया। होम/यज्ञ समारोह को पहले लाहुल के कई भागों में आयोजित किए जाते थे, लेकिन लोगों के दैनिक जीवन में बदलाव आने से लोगों ने धार्मिक कार्यों को छोड़ना ही उचित समझा। तांदी होम को लोगों ने लगभग आज से 85-90 वर्ष पूर्व बन्द कर दिया था। लेकिन कुछ बुजुर्ग बताते है कि इस यज्ञ में लाहुल घाट के 14 कोठी के लोग भाग लेने आते थे और संगम तट पर क्षेत्र की खुशहाली और समृद्धि के लिए पूर्ण अहाुतियां दी जाती थी। इस यज्ञ/ होम का शुभारम्भ जुण्डा ब्राह्मण के माध्यम से सम्पन्न किया जाता था जुण्डा के सभी भाटों सहित हिडिम्बा के गुर तथा मृकुला मंछिन का पुजारी और वाद्य यन्त्रों से जुड़े लोग जुण्डा से शोभा यात्रा/गुयूं निकालकर तांदी तट में यज्ञ का आयोजन कियाा करते थे। इस होम का आयोजन मध्य मई और जून मध्य से पूर्व किया जाता था। वर्तमान में तट पर एक छोटा सा शिव मंदिर, तुपचिलिंग में की आधुनिक सुविधाओं से लैस बौद्ध गोम्पा का निर्माण किया गया जबकि प्राचीन गुरू घन्टाल मंदिर जो ऊपर पहाड़ी चोटी पर स्थित है।

-शेर सिंह शर्मा

जिला लोक संपर्क अधिकारी, कुल्लू