जुवेनाइल जस्टिस एक्ट पर कुल्लू में मंथन, जिला एवं सत्र न्यायधीश और जिलाधीश कुल्लू ने लिया भाग।

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के विभिन्न प्रावधानों तथा इसके क्रियान्वयन के संबंध में विभिन्न विभागों व पुलिस अधिकारियों, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड व बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों और बाल अधिकारों के लिए कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों को जागरूक करने के उद्देश्य से रविवार को जिला परिषद के सम्मेलन कक्ष में एक कार्यशाला का आय
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भोजन किया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में जिला एवं सत्र न्यायधीश प्रेम पाल रांटा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस मौके पर उपायुक्त राकेश कंवर भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
जिला एवं सत्र न्यायधीश ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट यानि किशोर न्याय (देखरेख व सुरक्षा) अधिनियम में बाल अधिकारों के संरक्षण का
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प्रावधान है। पीड़ित या प्रताड़ित बच्चों अथवा बेसहारा बच्चों के अलावा किन्हीं कारणों से अपराध करने वाले अठारह वर्ष से कम आयु के बच्चों के अधिकार भी इस अधिनियम में सुनिश्चित किए गए हैं। बाल अपराधों से जुड़े मामलों की जांच और पीड़ित व बेसहारा बच्चों के राहत व पुनर्वास के लिए इसमें बहुत ही स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। ऐसे मामलों की जांच आम आपराधिक मामलों की तरह नहीं जाती है। अतः बच्चों से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए इस अधिनियम के अनुसार ही कदम उठाने चाहिए।
उपायुक्त राकेश कंवर ने बेसहारा बच्चों के पुनर्वास, पालन, देख-रेख और बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया के संबंध में जारी किए गए ताजा दिशा-निर्देशों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की वेबसाइट पर भी ये दिशा-निर्देश उपलब्ध करवाए गए हैं। इच्छुक दंपत्तियों को इन्हीं प्रावधानों के अनुसार बच्चा गोद लेना चाहिए। उपायुक्त ने बताया कि कुल्लू जिला में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड व बाल कल्याण समिति का गठन किया गया है।
इस मौके पर कुल्लू के सीजेएम अमन सूद ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और बाल अपराधों की जांच के संबंध में जानकारी दी। लाहौल-स्पीति के सीजेएम गौरव महाजन ने बाल अपराधियों की आयु की जांच प्रक्रिया के बारे में बताया। मनाली के डीएसपी पुनीत रघु ने ऐसे मामलों की जांच में पुलिस की भूमिका की जानकारी दी। महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम प्रबंधक जीके शर्मा ने पीड़ित व बेसहारा बच्चों के पुनर्वास के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी।
इससे पहले जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश शर्मा ने मुख्य अतिथि, अन्य अतिथियों व सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। जिला कल्याण अधिकारी प्रताप नेगी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

सिंधु दर्शन की तरह मनाया जाए चन्दर भागा संगम। मुख्यमंत्री वीरभद्र से मुलाकात। यह है चन्दर और भागा का संगम तांदी।

विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्त संगठन मंत्री मनोज कुमार और लाहौल स्पीती जनजातीय कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ चन्द्र मोहन परशीरा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से लाहौल घाटी में बहने वाली नदी चन्द्रभागा पर प्रति वर्ष संगम पर्व मनाने का प्रस्ताव रखा I डॉ परशीरा ने मुख्यमंत्री को अपन

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एक शोध पत्र भी सोंपा जिसमे उनके और विख्यात इतिहासकार छेरिंग दोरजे द्वारा संयुक्त रूप से इस नदी को पश्चिमी हिमालय का तीर्थराज बताया गया है I परशीरा ने मुख्यमंत्री को बताया कि हिमाचल में अनादी काल से अविरल बहने वाली चन्द्रभागा नदी को वैदिक काल में असिक्नी कहा जाता था और इसके वृतांत को उन्होंने ऋग्वेद, स्कन्द पुराण के अलावा यूनानी ग्रन्थों में भी खोज निकाला है I इस के आलावा इस नदी के तट पर भारतीय बोद्ध सिद्ध घंटापा ने आठवीं शताब्दी में सिद्धि प्राप्त की थी और उन्ही के नाम पर यहाँ के मठ का नाम भी घंटाल गोम्पा पड़ा जिसके फलस्वरूप यह स्थान हिन्दुओं और बोद्धों के लिए समान मान्यता रखता है I

डॉ परशीरा के अनुसार सप्त सिन्धु की सारी नदियों में गंगा के अतिरिक्त केवल असिक्नी चन्द्र भागा में ही कालान्तर से अस्तु विसर्जन की परम्परा रही है तो इस लिए इस नदी को पश्चिमी हिमालय की गंगा कहना भी गलत नहीं होगा I इस नदी के ऊपर स्तिथ घंटापा के मठ में प्राचीन समय में विशेषकर सर्दियों में लाहौल वासी दिवंगत जनों की अस्थियाँ ले कर आते थे और फिर लामा द्वारा ग्रीष्म काल के आरम्भ में छा छा नामक एक अनुष्ठान के बाद अस्तुओं को मिटटी में गूँथ कर पहाड़ों में तथा संगम में विसर्जित किया जाता था I उनके अनुसार मुख्यमंत्री से चर्चा की गयी कि लद्दाख के सिन्धु दर्शन मेले के तर्ज पर यहाँ चन्द्र भागा संगम पर्व मनाना आरम्भ किया जाना चाहिए जिसपर मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि वहां के लोग ऐसा चाहते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी इसपर उन्हें बताया गया कि पहले ही लाहौल घाटी के छहत्र (76 ) गाँव से दो सौ सोलह लोगों की एक संचालन समिति बनाई गयी है जो इस आयोजन में कार्य करेगी I

विश्व हिन्दू परिषद के संगठन मंत्री मनोज कुमार ने कहा कि मई में विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंहल के चन्द्रभागा संगम में अस्तु विसर्जन के साथ ही पौराणिक नदी पर संगम पर्व की शुरुआत की जाएगी जिसके लिए वह केंद्र में भी विभिन्न मंत्रालयों के सम्पर्क में हैं I मनोज कुमार ने कहा कि इतने बड़े तीर्थ स्थल को विश्व के सामने लाने में उनका संगठन कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा क्यूंकि यह स्थान न केवल वेदों तथा पुराणों में अपना महत्त्व रखता है अपितु हिन्दू और बोद्धों का संयुक्त धर्म स्थल होने के कारण यह अनूठी छवि प्रस्तुत करता है I मनोज कुमार के अनुसार अशोक सिंहल के अस्तु विसर्जन का दायित्व चूँकि संगठन ने डॉ परशीरा को दिया है इसलिए संगम पर्व और संगम पर बनने वाले घाटों और स्मारकों की रूपरेखा भी परशीरा के नेत्रित्व में संचालन समिति ही बनाएगी जिसके लिए उचित धन की व्यवस्था करने हेतु प्रदेश में और केंद्र दोनों में प्रयास किया जायेगा I