टीजीटी हिंदी पदनाम की अपनी बहुप्रतीक्षित मांग को लेकर टीजीटी हिंदी एसोसिएशन ऑफ हिमाचल प्रदेश स्टेट डेलिगेशन वीरवार को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री राजीव सैजल की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से मिला। विधानसभा शिमला में हुई मुकाकात में शिक्षा मंत्री ने इस मुददे पर उचित करवाई करने का आश्वासन
दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून प्रदेश में लागू नहीं किया। जिससे यह शिक्षा विभाग में कई प्रकार की समस्या पैदा हुई। प्रशिक्षित होने के बावजूद भाषादयापकों को टीजीटी पदनाम से बंचित रखना अध्यापकों सहित यह हिंदी भाषा का सरासर अपमान है। उन्होंने बताया कि टीजीटी पदनाम को लेकर कार्य प्रगति पर है। ड्राफ्ट तैयार ही रहा है। जिलों से प्रशिक्षित भाषाध्यापकों को सूची मांगी है। सात जिलों से सूची आनी बाकी है। इससे पहले एसोसिएशन की राज्यकार्यकारणी ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री राजीव सैजल को भी माँगपत्र सौंपा। उन्होंने पूरा सहयोग करने का वादा कर इस मामले ओर स्वयं शिक्षा मंत्री से बात की और डेलिगेशन को भी मिलाया। राज्यकार्यकारणी में राज भाटिया, शिवदेव, ज्ञान चंद, नरेश कुमार, कमल, राकेश, खुशवंत और विश्वनाथ शामिल थे। कार्यकारिणी के प्रदेश संयोजक राज भाटिया ने कहा कि प्रशिक्षित होने के बावजूद भाषाध्यपकों को पदनाम नहीं देना न्यायसंगत नहीं है। भाषाध्यापक भर्ती एवम पदोन्नति नियम पूरे करते हैं। बीएड और टेट की योग्यता रखते हुए भी अनट्रेंड है। अतः हमारी मांग सिर्फ टीजीटी पदनाम की है। उन्होंने सरकार से मांग की कि शिक्षा विभाग में शिक्षा का अधिकार कानून पूरी तरह से लागू करें।