चार हज़ार तक बड़ सकता है रोहतांग टनल का निर्माण, 2009 में करीब 18 हज़ार थी लागत।

केलांग : समुद्र तल से सबसे अधिक ऊंचाई पर बनने जा रही रोहतांग सुरंग के निर्माण में देरी होने से इसकी लागत करीब दो गुना बढ़ गई है। ग्लोबल टेंडर के जरिए 2009 में टनल निर्माण का काम करीब 1800 करोड़ रुपए में इंडियन-आस्टियन कंपनी एफक्रांज और स्टाबेग ज्वाइंट वैंचर को अवार्ड हुआ, लेकिन टनल के भीतर भू-गर्भीय चुनौतियों ने अब सुरंग का निर्माण कार्य लगभग च

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ार साल आगे खिसका दिया है। लिहाजा बीआरओ के रोहतांग परियोजना विंग का अनुमान है कि सुरंग का निर्माण पूरा होने तक इसकी लागत चार हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा छू सकती है। बताया जा रहा है कि धुंधी के जिस इलाके में टनल खुदाई का काम शुरू किया गया है, ठीक उसके ऊपर से बहने वाले सेरी नाले का पूरा पानी इसमें रिस रहा था। लिहाजा कंपनी को टनल निर्माण के दौरान पानी के साथ ही लगभग 600 मीटर के हिस्से में कमजोर पत्थरों का सामना करना पड़ा है। इन चुनौतियों के कारण कंपनी को टनल के इस 600 मीटर हिस्से की खुदाई पूरा करने में ही साढे़ तीन साल का वक्त लग गया। बीआरओ का कहना है कि खुदाई में देरी होने से टनल की निर्माण लागत बढ़ना लाजिमी है। पहले सुरंग निर्माण का लक्ष्य 2014 था, लेकिन भू-गर्भीय चुनौतियां आने से लक्ष्य आगे खिसकता गया। परियोजना के निदेशक ब्रिगेडियर आरएस राव का कहना है कि टनल का काम पूरा होने तक इसकी लागत लगभग चार हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। समुद्र तल से करीब 11 हजार फुट की ऊंचाई पर निर्माणाधीन रोहतांग टनल की लंबाई 8.8 किलोमीटर है। परियोजना निदेशक ब्रिगेडियर आरएस राव का कहना है कि टनल खुदाई का काम तेजी से किया जा रहा है। वर्ष 2017 तक टनल के दोनों छोर एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे।
टनल के दोनों छोर को मिलाकर अभी तक साढे़ पांच किलोमीटर खुदाई हो चुकी है। सुरंग बनने से मनाली से लेह की दूरी करीब 50 किलोमीटर कम होगी और लाहुल घाटी सालभर शेष विश्व से जुड़ी रहेगी।
साभार : दिव्य हिमाचल

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